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झांसी में मनाई गई कलाविद भगवान दास गुप्ता की 93वीं जयंती

झांसी। ललित कला संस्थान, राष्ट्रीय सेवा योजना बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी एवं कलाविद स्वर्गीय भगवान दास गुप्ता कला शैक्षणिक उत्थान समिति जबलपुर द्वारा आयोजित कलाविद स्वर्गीय भगवान दास गुप्ता की 93वीं जयंती के उपलक्ष्य में चित्रकला प्रतियोगिता ‘बुन्देलखण्ड की संस्कृति एवं विरासत’ का आयोजन किया गया, जिसमें 100 से अधिक विद्यार्थियों ने अपनी कला का परिचय दिया। 

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अधिष्ठाता कला संकाय प्रो मुन्ना तिवारी ने छात्र-छात्राओं को बुन्देलखण्ड की संस्कृति एवं विरासत के बारे में वर्णित इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारा बुन्देलखण्ड नदियों और साहित्य के लिए जाना जाता हैं, जिसकी महिमा महाकाव्य में भी वर्णित हैं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कलाविद भगवान दास गुप्ता के चित्रों में कला-संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष उनके सुपुत्र कार्यक्रम कराकर नई प्रतिभाओं को अपनी कला जनमानस के मध्य प्रस्तुत करने का सुअवसर प्रदान कर रहें हैं जो सराहनीय है।

कार्यक्रम के  मुख्य अतिथि अरुण हिंगवासिया पूर्व डी.एस.पी.ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बुंदेलखंड में बुंदेली समाज और संस्कृति ही नहीं साहित्य भी प्राचीन काल से अब तक समस्त भारतीय समाज की तरह सामाजिक विकास में अपना योगदान दे रहा हैं। उन्होंने कहा कि यहाँ के छात्र कला में दक्ष होकर विश्वविद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं। लोक गीत, लोक कथा, लोक गाथा और नौटंकी हमारे बुंदेलखंड में अभी तक मौजूद हैं, जो हमारी संस्कृति को दर्शाता है। 

विशिष्ट अतिथि सुनील कुमार सेन उप कुलसचिव वित्त ने बुंदेली कलम कलम की पहचान, रेखा, रंगों से परिचित कराया और कहा कि बुंदेली शैली को पुनः उसके स्वरूप में लाने के लिए छात्र छात्राओं समाज के साथ मिलकर कार्य करना होगा। 

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि शेख अंजुम उप कुलसचिव ने बताया कि हमें अपनी मौलिकता पर जोर देने की जरुरत हैं। हमें पारंपरिक राई, फाग, बधाई और नौरता नृत्य पर ध्यान केंद्रित करना होगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से कला को बढ़ावा मिलता है। तुलसीदास जी से लेकर वृंदावन लाल वर्मा आदि महाकवियों ने बुन्देलखण्ड के साहित्य को जीवन्त किया और हमे बुन्देलखण्ड में कला, वास्तुकला व मूर्तिकला का अद्भुत उदाहरण देखने को मिलते हैं। 

कार्यक्रम की रूपरेखा पर डॉ. श्वेता पाण्डेय  ने प्रकाश डालते हुए बुन्देलखण्ड के इतिहास और कला के साथ कलाविद भगवान दास गुप्ता कला समिति  की कार्य योजना पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर  डॉ. अजय कुमार गुप्ता ने उपस्थित अतिथियों का आभार प्रदर्शन करते हुए सभी विजेताओं को बधाई देते हुए उनके यशस्वी जीवन की कामना कर कहा कि बुंदेलखंड चित्रकला, स्थापत्य कला व मूर्तिकला का धनी क्षेत्र हैं, जहां चंदेल राजाओं ने मंदिरों व स्थापत्य में बहुत रुचि दिखाई।  

कार्यक्रम का मंच संचालन कला शिक्षक गजेन्द्र सिंह ने किया। निर्णायक मंडल में वरिष्ठ कलाकार कामिनी बघेल, वरिष्ठ कलाकार कुंती हरिराम, ललित कला संस्थान की डॉ.सुनीता ने 5 सर्वश्रेष्ठ कलाकृतियों का चयन किया, जिनमें तरुना मल्लिक, ऋषि धूसिया, रूबी सेन, सबत खालिदी, राकेश मंडल  को सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार के रूप में स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र मुख्य अतिथि द्वारा प्रदान किया गया। 

इस अवसर पर वरिष्ठ कवियत्री रमा शुक्ला,  डॉ. ब्रजेश कुमार, दिलीप कुमार, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. अंकिता शर्मा, डॉ. रानी शर्मा, अतीत विजय, कमलेश कुमार, मुकेश कर्दम सहित संस्थान के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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