झांसी। भारतीय हिन्दी परिषद के 47वें अधिवेशन एवं त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य समापन बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में रविवार को हुआ। समापन समारोह के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने परिषद को संगोष्ठी और अधिवेशन के सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि आपकी यह संगोष्ठी हिन्दी के विकास में महत्वपूर्ण निभाएगी। मुझे विश्वास है कि इस संगोष्ठी में जो विचारों का मंथन हुआ है, उससे निकला ज्ञान का अमृत विकसित भारत कि नींव बनेगा। झाँसी हमेशा से सिद्ध भूमि रही है। यह शौर्य, साहित्य और आध्यात्म की धरती है। हिन्दी के विकास के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कई प्रावधान किए गए हैं। हिन्दी समेत सभी मातृभाषाओं का विकास हो, इस पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह आप सबकी ज़िम्मेदारी है कि भाषा पर राजनीति न होने दें। राजनीति अपने स्वार्थ के लिए की जाती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जो विसंगतियाँ हैं , उनको दूर करने का कार्य सतत जारी है। उन्होने कहा कि हिन्दी ने भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि झाँसी मण्डल के मंडलायुक्त विमल दुबे ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में सब कुछ व्याप्त है। इसमें कर्म और धर्म है तो त्याग और भोग भी है। भाषा सभ्यता के लिए बेहद दूरी है। हिन्दी पूरे देश को एक माला में पिरोने का काम करती है। कौशल विकास को आगे बढ़ाने के लिए भाषा की सहजता भी जरूरी है। हिन्दी को इतना सक्षम होना चाहिए कि किसी भी स्थिति में अन्य भाषा की आवश्यकता न पड़े।
अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलपति प्रोफेसर मुकेश पांडे ने कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय है कि इस प्रांगण में इतना भव्य आयोजन हुआ। सफल आयोजन के लिए हिन्दी विभाग और प्रोफेसर मुन्ना तिवारी को हार्दिक शुभकामनाएँ।
संगोष्ठी की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए परिषद के प्रधानमंत्री प्रोफेसर योगेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि तीन दिवसीय इस संगोष्ठी में देश भर से आए 214 प्रतिभागियों ने भारतीय हिन्दी परंपरा और हिन्दी विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए सभापति प्रोफेसर पवन अग्रवाल ने बताया कि इस अधिवेशन के दौरान 22 विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्षों की बैठक भी हुई। सबने हिन्दी के पाठ्यक्रम के विकास पर महत्वपूर्ण सुझाव दिये। इसके साथ ही हिन्दी संसद का आयोजन भी किया गया।
कार्यक्रम के दौरान पंडित दीपेंद्र अरजरिया और हरगोविंद कुशवाहा को सम्मानित किया गया। ललित कला विभाग के विद्यार्थी आदेश अहिरवार को अधिवेशन का लोगो डिज़ाइन करने के लिए सम्मानित किया गया। संस्कृति पर्व पत्रिका का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर मुन्ना तिवारी ने किया।
इससे पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री द्वारा अधिष्ठाता, कला संकाय भवन का भूमि पूजन भी किया गया। सभी अतिथियों को चिरगांव स्थित राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के घर का भ्रमण भी कराया गया। इस अवसर पर कुलसचिव विनय कुमार सिंह, सभी विभागों के अध्यक्ष, अजय शंकर तिवारी, आकांक्षा सिंह, प्रीति शिवहरे , ऋचा सेंगर, रजनीश, ऋचा गुप्ता, गरिमा, डॉ. अचला पाण्डेय, डॉ श्रीहरि त्रिपाठी, डॉ. विपिन प्रसाद, डॉ. प्रेम लता श्रीवास्तव, डॉ. सुधा दीक्षित, डॉ. शैलेन्द्र तिवारी, डॉ. आशीष दीक्षित, डॉ. राम नरेश देहुलिया, डॉ. राघवेन्द्र द्विवेदी, आशुतोष शर्मा, जोगेंद्र सिंह, डॉ. द्युति मालिनी, डॉ. वसुंधरा उपाध्याय, डॉ. रेनू शर्मा, डॉ. सुनीता वर्मा, डॉ. सत्येंद्र चौधरी, प्रियांशु गुप्ता समेत बड़ी संख्या में शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद रहे।