डॉ रोबिन श्रीवास्तव
(बीडीएस, एमडीएस, गोल्ड मेडलिस्ट, सावित्री हॉस्पिटल)
तंबाकू और गुटखे के सेवन का प्रचलन भारत वर्ष के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक है। बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, तंबाकू, पान-मसाला का सेवन पुरुषो के साथ साथ स्त्रियों में भी आम बात सी हो गई है। प्रायः दांत के रोगी, जिनमे पायरिया या दंत क्षय (दांत में कीड़ा लगना) रोग की शुरुवात होती है, वो लोगो की बातो में आकर तंबाकू का सेवन शुरू कर देते है और उन्हें तंबाकू की लत लग जाती है, जो कि मुंह के कैंसर तक बनने में सहायक होती है। यदि मुंह के अंदर कोई भी घाव या छाला है जो 10 दिन के अंदर नहीं भर रहा है तो तुरंत किसी दंत चिकित्सक से परामर्श लेकर इलाज करवाना चाहिए। तंबाकू युक्त एवं साधारण गुटखा, सुपारी में ऐसे रासायनिक तत्व का मिश्रण किया जाता है, कि लोग इसके आदि हो जाते है और चाह कर भी इसे दूरी नही बना पाते, जिस वजह से एक विशेष प्रकार की बीमारी, जिसे सबम्यूकस फाइब्रोसिस कहते है, जन्म ले लेती है, जिसमे मुंह का कम खुलना, मुंह में छाले, मासपेशियों में तनाव, मिर्च मसाले ज्यादा लगना शुमार है, जो कि मुख का कैंसर तक बनने में सहायक होता है।
यदि शुरुआत में ही मुंह की जांच में प्रीकैंसरस लीजंस (precancerous lesions) मिल जाता है और मरीज गुटका तंबाकू का सेवन बंद कर के इसका इलाज शुरू करवा देता है तो इससे पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है, इसलिए यह अति आवश्यक है कि आप गुटखा तंबाकू का सेवन न करे और 6 महीने में एक बार अपने दंत चिकित्सक से जांच करवाए।
धूम्रपान का कुप्रभाव गर्भवती स्त्रियों व जन्म लेने वाले बच्चे पर भी पड़ता है इसलिए ये जरूरी है, कि गर्भवती स्त्री खुद भी धूम्रपान या गुटके का सेवन न करे और न ही अपने आस पास ऐसा होने दे (passive smoking) क्योंकि यदि आप बीड़ी सिगरेट के धुएं को सूंघ भी रहे है तो ये भी खतरनाक होता है। तो आइए हम सब आज तंबाकू निषेध दिवस पर ये संकल्प ले कि तंबाकू गुटके के सेवन करने वालो को ये संदेश पहुंचा कर उनको तंबाकू छोड़ने के लिए प्रेरित करे ताकि हम एक तंबाकू मुक्त समाज का निर्माण कर सके और एक स्वस्थ शरीर का बनाए। याद रहे मुंह हमारे स्वास्थ का दर्पण है।