झाँसी। विश्वप्रसिद्ध कथासम्राट मुंशी प्रेमचंद की 144वीं जयंती पर बुंदेलखंड साहित्य कला अकादमी के तत्वावधान में झाँसी के लहरगिर्द स्थित गोमती सदन में आयोजित संगोष्ठी में डॉक्टर रामशंकर भारती को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए ‘मुंशी प्रेमचन्द सम्मान’ से सम्मानित किया गया। यह साहित्यिक समारोह राजकीय संग्रहालय के निदेशक डा.मनोज कुमार गौतम के मुख्य आतिथ्य एवं वरिष्ठ साहित्यकार साकेत सुमन चतुर्वेदी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। समारोह में वक्ताओं ने मुंशी प्रेमचंद की कालजई कृतियों व उनके साहित्यिक योगदान पर चर्चा करते हुए उन्हें साहित्य का वैचारिक क्रांतिदूत बताया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पूर्व केंद्रीय राजभाषा अधिकारी एच. एन. त्रिवेदी थे।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर रामशंकर भारती ने अपने उद्बोधन में कहा कि मुंशी प्रेमचंद जैसे महान साहित्यकार जन्म तो लेते हैं मगर कभी मरते नहीं। वे अमरचेता होते हैं। आज भी मुंशी प्रेमचंद को हम उनके कालजयी लेखन के लिए याद करते हैं। यही उनके अमर होने का प्रमाण है।
मुख्य अतिथि डा. मनोज कुमार गौतम ने मुंशी प्रेमचंद की लेखन परंपरा को साहित्य में मील का पत्थर बताया। पूर्व केन्द्रीय राजभाषा अधिकारी एच.एन. त्रिवेदी, युवा लेखक कुशराज एवं अजय दुबे ने अपनी कहानियों का पाठ किया। संगोष्ठी के अध्यक्ष साकेत सुमन चतुर्वेदी ने अपने जीवन के साहित्यिक संस्मरण सुनाते हुए मुंशी प्रेमचंद को याद किया।
अतिथियों का स्वागत संस्था अध्यक्ष डॉ. कुंती हरिराम ने किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ. नईम, आरिफ शहडोली, निहालचंद शिवहरे, अजय दुबे, अलख प्रकाश साहू, डॉ. उमा पाराशर, माता प्रसाद शाक्य, कुशराज, साधना वर्मा, शशिकांति गुप्ता, डॉक्टर हरिराम आदि ने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी का संचालन संस्था के सचिव एसपी सिंह सत्यार्थी तथा प्रेम कुमार गौतम ने संयुक्त रूप से किया। अंत में अतिथियों का आभार संस्था अध्यक्ष कुंती हरिराम के द्वारा किया गया।