31 अगस्त 2004, झांसी।
जिले के गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों, पत्रकारों, व्यापारियों व प्रबुद्धजनों की चिंतन बैठक का आयोजन महोबा-हमीरपुर के पूर्व गंगाचरण राजपूत के मुख्य आतिथ्य में झांसी के होटल रही वीरांगना के सभागार में किया गया। बैठक में बुंदेलखंड की पलायन, गरीबी, बेरोज़गारी जैसी समस्याओं पर चिंतन हुआ। चिंतन बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्बोधित एक पत्र तैयार किया गया और उसे पीएम मोदी को भेजा गया। पीएम मोदी को भेजे पत्र में समस्याओं के समाधान के अनुरोध के साथ ही पृथक बुंदेलखंड राज्य निर्माण कराने की भी मांग की गयी है।
पीएम को सम्बोधित पत्र में लिखा गया है कि आज बुंदेलखंड के गांवों में बेरोज़गारी के कारण 40% जनता, जिसमें गरीब, किसान, मजदूर भी शामिल हैं, वह काम न मिलने के कारण बड़े शहरों जैसे गुजरात, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा में काम के लिए पलायन कर गए। झाँसी रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन 2000 लोग पलायन कर रहे हैं। भाजपा की डबल इंजन की सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है पर अभी तक पलायन की समस्या जस की तस है। आपके फ्री राशन वितरण से आत्महत्याओं में कमी आई है पर अभी तक रोजगार के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हुए हैं, जिससे बेरोजगारी के कारण गरीबी और पलायन जैसी समस्याओं का जन्म हुआ। पढ़े-लिखे नौजवानों को नौकरी न मिलने के कारण चार-पांच हजार में टीचिंग की नौकरी प्राइवेट स्कूलों में करनी पड़ रही है। जो युवा खेती-बाड़ी कर रहे हैं वह भी सभी कर्जदार हैं क्योंकि बुंदेलखंड में दैवीय आपदाओं का केंद्र होने के कारण फसलें अक्सर बर्बाद हो जाती हैं। आपकी फ़सल बीमा से थोड़ी सी राहत जरूर मिलती है किन्तु उसमें भी बीमा कंपनी बीमा देने में बहुत मुश्किल करती है। किसानों की हालत खराब होने से व मज़दूरों को काम न मिलने से बुन्देलखण्ड के लोग पलायन कर रहे हैं।
चिंतन बैठक में बुंदेलखंड के प्रबुद्धजनों, पत्रकार, समाजसेवी संस्थाओं द्वारा प्रकट किये विचारों और मांगों को भी पीएम को प्रेषित पत्र में शामिल करते हुए बुंदेलखंड प्रांत बना देने की मांग की गयी है।
बुंदेलखंड प्रांत के लिए चिंतन बैठक की मांगे कुछ इस प्रकार हैं –
– खनिज के पट्टे सिर्फ बुंदेलखंडवासियों को मिले
– विकास कार्यों के ठेके सिर्फ बुंदेलखंडवासियों को मिले
– ग्रेड सैकेण्ड, थर्ड व फोर्थ की नौकरी सिर्फ बुंदेलखंड वासियों को मिले
– बुंदेलखंड में मनरेगा की मजदूरी 500 हो और 300 दिन काम मिले
– मनरेगा को कृषि कार्यों से जोड़ा जाए जैसे कटाई, जुताई, मड़ाई आदि की मजदूरी मनरेगा से दी जाए
– किसानों को महीने में 15 ट्रॉली फ्री बालू ट्रैक्टर से ढ़ोने का परमिट मिले
– प्राइवेट स्कूलों के टीचरों को जो वेतन मैनेजमेंट देता है उतना ही राज्य सरकार दे
– किसानों को ज़मीन के अनुसार डीजल का परमिट मिले