झांसी। बुंदेलखंड के कठिया गेहूं को जीआई टैग मिल जाने के बाद अब इसके उत्पादन और इसके विपणन को बढ़ावा देने की तैयारी चल रही है। बुंदेलखंड क्षेत्र में किसानों के लिए यह आमदनी बढ़ाने में काफी मददगार साबित हो सकती है। नाबार्ड की मदद से झांसी के एक एफपीओ के आवेदन पर यह जीआई टैग प्रदान किया गया है। यह पहचान मिलने के बाद कठिया गेहूं के उत्पादन से जुड़े कृषक काफी उत्साहित हैं।
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संतोष पांडेय ने बताया कि कठिया गेहूं देशी वैरायटी है। बुंदेलखंड क्षेत्र में कम पानी में उग जाने वाला गेहूं है। इससे दलिया, लड्डू आदि खासतौर पर बनाया जाता है। इसकी उपज बुंदेलखंड के कुछ क्षेत्रों में होती है। जीआई टैग मिलने का मतलब यह है कि इसकी गुणवत्ता बेहतर है। इसे प्रोत्साहित किया जाए तो किसान कम लागत में अधिक पैसे कमा सकते हैं। इसका यदि निर्यात किया जाए और इसके गुणों के बारे में जागरूक किया जाए तो इसकी डिमांड बढ़ेगी। वर्तमान समय में भी इसकी काफी डिमांड है।
नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक भूपेश पाल ने बताया कि किसानों को बेहतर लाभ दिलाने के लिए जिला प्रशासन, कृषि विभाग, उद्यान विभाग, एफपीओ, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र, ग्राम्य विकास विभाग, उद्योग विभाग सहित अन्य सम्बंधित विभागों की एक कमेटी का गठन होगा। यह कमेटी कठिया गेहूं उगाने वाले किसानों को जीआई टैग का उपयोग करने के लिए प्रेरित करेगी। उत्तर प्रदेश सरकार का कृषि विपणन विभाग इस काम के लिए नोडल की भूमिका निभाएगा। कठिया गेहूं के उत्पादक किसानों को बेहतर बाजार मिलने में अब काफी आसानी होगी।