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साहित्य

महिमा त्रिपाठी की कविता – अहसास

मिले थे जब हम
पक्षी चहचहा रहे थे
हवा मतवाली बह रही थी
मौसम गुनगुना रहा था
मुझे नहीं है तनिक एहसास
मुझे है एहसास

नयनों में था तुम्हारे काजल
और काजल में थे हम
भवरे की गुंजन
कोयल की कूक
कर रही थी
फ़िज़ा को तरंगित
मुझे नहीं है तनिक एहसास
मुझे हैं एहसास

लवो पर सजी थी जो लाली
गालों पर भी थी लालिमा
उसमें थे हम
बादल रहे थे गरज
बारिश भी कर रही थी कुछ अर्ज
मुझे नहीं है तनिक एहसास
मुझे हैं एहसास

बिखरी थी ललाट पर जो काली घटाएं
उसकी छांव में थे हम
मुझे है पूरा विश्वास
नयनों के काजल में
लवों की लाली में
गालों की लालिमा में
हम ही हम थे
हम ही हम हैं
तुम्हारे जीवन के हर रंग में
तुम्हारे मन के चंचल चितवन में
हम ही हम हैं
हम ही हम हैं

( महिमा त्रिपाठी पेशे से शिक्षिका हैं और विभिन्न विषयों पर कविताएं लिखती हैं. )

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2 comments

Sindhur June 15, 2021 at 10:45 am

Left me for thinking!
Deep exploration of emotions.

Reply
Shivpriya June 15, 2021 at 10:47 am

Very good Mahima!
Keep it up!

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