झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय पुस्तक मेला 2024, अखिल भारतीय लेखक शिविर, विश्वविद्यालय स्तरीय एकीकरण शिविर के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि झांसी मंडलायुक्त विमल कुमार दुबे ने कहा कि छात्रों को पुस्तकों के साथ मित्रता करने की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने छात्रों से अनुभव साझा करते हुए कहा कि पुस्तकालय की सदस्यता अवश्य लें। इस प्रकार के मेले में छात्रों को साहित्यकार, प्रकाशको, लेखकों और विचारकों से विचार विमर्श करने का अवसर प्राप्त होता है। पुस्तक लगातार नया सीखने में हमारी मदद करती है अन्यथा हमारी बातें पुरानी लगने लगती हैं। पुस्तक केवल साहित्य सृजन नहीं है बल्कि वह अनेकों विषयों की जानकारी से हमें अवगत कराती हैं। ज्ञान को अर्जित और उसे लोगों तक पहुंचाने का माध्यम बनती है।
उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुकेश पाण्डेय ने कहा कि पुस्तकों से छात्रों का सर्वांगीण विकास संभव है। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत भी पाठ्यक्रमों का ऐसा निर्माण किया जा रहा है कि छात्रों में क्रिटिकल और क्रिएटिव सोच को बढ़ावा दिया जा सके। आज हम अगर भारतीय संस्कृति से परिचित है तो इसके पीछे रामचरितमानस, रामायण, भगवत गीता आदि पुस्तकों का महत्वपूर्ण स्थान है। भारतीय ज्ञान परंपरा की संवाहक पुस्तकें छात्रों में चरित्र निर्माण करने के साथ-साथ उन्हें स्वावलंबन एवं आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत, नए भारत, विश्व गुरु भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत प्रकाशित अनेकों पुस्तकों को पुस्तक मेले में विशेष स्थान दिया गया है।
मुख्य वक्ता प्रख्यात कथाकार महेश कटारे ने कहा कि उनका जीवन पुस्तकों के बीच बीता है। वह लिखने के साथ लगातार पढ़ने भी रहते हैं। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि कम से कम अपने जेब खर्च का कुछ प्रतिशत पुस्तकों को क्रय करने में इस्तेमाल करें। पुस्तके हमारी स्मृतियों को पुनः जागृत करने का कार्य करती हैं।
कार्यक्रम के सारस्वत वक्ता प्रसिद्ध गजलकार काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के हिंदी विभाग के अध्यक्ष वशिष्ठ अनूप द्विवेदी ने कहा कि कक्षाओं में यदि छात्र बेहतर करते हैं तो उन्हें शिक्षकों को पुस्तक देकर सम्मानित करना चाहिए। किताबें हमारी दुनिया को बड़ा बना देती हैं। उनसे प्राप्त ज्ञान हमें और अधिक समृद्ध होने में सहायता करता है। किताबें जहां हमें दुनिया की सैर कराती हैं वहीं आदमी को पहचानने में भी मदद करती हैं। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि आज लाखों रुपए तनख्वाह पाने वाले शिक्षक, साहित्यका,र कवि पत्रिका खरीदने में संकोच करते हैं। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि भले उन्हें कुछ दूर पैदल चलना पड़े। पसंदीदा भोजन का त्याग करना पड़े। लेकिन किताबें जरूर खरीदें।
कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने कहा कि हमें प्रयास करना चाहिए कि हम अपने घर में एक निजी पुस्तकालय बनाएं। जीवन में कुछ भी पढ़ा लिखा व्यर्थ नहीं जाता है। इसके पूर्व स्वागत उद्बोधन कला संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर मुन्ना तिवारी ने आभार प्रोफेसर पुनीत बिसरीया ने व्यक्त किया। संचालन डॉ अचला पांडे ने किया। इस अवसर पर वित्त अधिकारी वसी मोहम्मद, परीक्षा नियंत्रक राज बहादुर, प्रोफेसर डीके भट्ट, प्रोफेसर प्रतीक अग्रवाल, प्रोफेसर बीबी त्रिपाठी, डॉ श्रीहरी त्रिपाठी, नवीन पटेल, डॉ. प्रशांत मिश्रा, डॉ शुभांगी निगम के साथ अनेक शिक्षक एवं छात्र उपस्थित रहे। आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना, हिंदी विभाग, कला संकाय, पंडित दीनदयाल उपाध्याय तथा प्रज्ञा द लिटरेरी क्लब द्वारा किया गया।